"यत्र नार्यस्तु पूजयन रमन्ते तत्र देवताः " अथार्त् 'जहा नारी / स्त्री की पूजा की जाती है वहाँ देवो का विचरण होता है देवता निवास करते है' पौराणिक धारणाये और आधुनिक कलयुग दोनों में दिनरात का अन्तर है जो आगे की कहानी में स्पष्ठ है____ __ये कहानी एक लक्ष्मी नाम की लड़की की है एक बेटी की कलम से हर पिता को समर्पित__ __________मैं बेटी हूँ बोझ नहीं ___________ यह सब मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ऐसा मैं फील करती हूँ। एक लड़की थी जब उसका जन्म होने वाला था तब उसके दादा दादी और घर के रिश्तेदार जश्न की तैयारी कर रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि लड़का होगा पर ऐसा नहीं था, लड़की हुई। जब लोगों ने उसे देखा और जिस नाम से उसे पुकारा वो था – “कुलक्ष्मी” अपशगुनी नाम सुनने में अजीब लग रहा है ना लेकिन वो लड़की मुस्कुरा रही थी अपना नया नाम सुनकर, सोच रही थी कि किसी जन्नत में आ गयी हूँ मैं। लेकिन लोग मुझे छू भी नहीं रहे हैं ऐसा लगता है मानो मुझे कोई बीमारी है। जो जश्न मनाने आये थे वो भी चले गए। मुझे लोग मारना चाह रहे थे सोच रहे थे, लड़की हूँ और बदनामी के सिवा दे भी क्या सकती हूँ। केवल एक इंसान जो...
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