⚜🔅 *जय महाकाल* 🔅⚜
🌺 *जय जय हिंदुस्तान* 🌺
जिस देश में 1830 का संथाल, 1837 का कूकाआन्दोलन, 1839 का भील आन्दोलन, सिखआन्दोलन, नागा साधू आन्दोलन में 4करोड़भारतीय शहीद हुए.... उसके बाद देश के इतिहासमें महान प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ जिसमे1करोड़ 70 लाख भारतीयों ने मातृभूमि के लिएप्राण न्योछावर किये... देश में 7लाखक्रान्तिकारियो जिनमे भगत सिंह, अशफाकउल्लाह खान, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरु, सुखदेव, रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, उधम सिंह,राजेंदर लाहिरी, जतिन दास, रोशन लाल, भगवतीचरण वोहरा, दुर्गा भाभी जैसे हजारों ने देश कीआज़ादी के लिए प्राण न्योछावर कर दिए...
क्या देश इतनी सारी कुर्बानियां भूल गया..???
1857 का महान स्वतंत्रता संग्राम जो अविस्मरणीयथा, को कांग्रेसी चाटुकारों ने उस गाँधी को बड़ादिखाने के लिए इतिहास से मिटा दिया..... इसमहान विद्रोह की शुरुआत 1856 में हुई थी....1856 में बैरकपुर छावनी में अंग्रेजो ने नए कारतूसइस्तेमाल करने शुरू कर दिया.... इन कारतूसो कोबन्दुक में भरने से पहले इनको मुह से छीला जाताथा..... इन कारतूसो में गाय और सूअर की चर्बीमिली हुई थी.... जिसका छावनी के एक भारतीयसैनिक को पता चल गया था..... उस समय फौजमें भारतीय और ब्रिटिश सैनिको का अनुपात12:1था..... जब भारतीयों ने इन कारतूसो काविरोध किया तो ब्रिटिश अधिकारियों ने सैनिकोको फौज से निकाल दिया.... मंगल पाण्डेय नाम केएक सैनिक ने अपने अंग्रेजी अधिकारी को गोलीमार दी.... बाद में 8 अप्रेल 1857 को मंगलपाण्डेय को फांसी दे दी गई...
मंगल पाण्डेय इस संग्राम के 'जनक' थे... लेकिन उनको वो सम्मान कभी ना मिल सका...
अप्रैल 1857में बैरकपुर छावनी में विद्रोह हो गयाऔर विद्रोही भारतीय सैनिको ने बैरकपुर परकब्ज़ा करके दिल्ली की और रुख करने का एलानकिया.... पूरा बंगाल विद्रोहियों से भर गया औरविद्रोहियों ने बिहार की तरफ कूच किया.... 10 मईको विद्रोह का दिन चुना गया ताकि पुरे देश मेंअंग्रेजो को भगाया जा सके.... उस समय झांसी मेंरानी लक्ष्मीबाई, मराठवाडा में नानाजी राव,राजपुताना में राजपूत, दिल्ली में बहादुरशाह जफ़र,मध्य भारत में तात्या टोपे, बंगाल के नवाब औरबिहार कुंवर सिंह और जमींदारों ने विद्रोह काबिगुल बजा दिया.... लेकिन सिंधिया परिवार, कुछमराठी और कुछ राजपूत रियासतों ने सत्ता केलालच में ब्रिटिश हुकूमत का साथ दिया... अंग्रेजोने इस विद्रोह को कुचलने में पूरी ताकत लगा दीऔर कुछ जयचंदों और मीरजाफर जैसे गदारो कीवजह से अंग्रेजो ने 1857 में इस विद्रोह को काबू मेंकर लिया....इस विद्रोह में झांसी की रानीलक्ष्मीबाई को शहीद होना पड़ा.....
कुछ सफेदपोश गद्दारों ने इसे 'ग़दर' का नाम दिया है...
वीर सावरकर (1883-1966) अतुलनीय देशभक्त औरभारत माता के एक महान सपूत और पहले इतिहासकार हैं जिन्होंने 1857 के युद्ध को "भारत की आजादी की पहली लड़ाई" अपनी पुस्तक में घोषित किया...
अगर वो क्रान्ति तब सफल हो गई होती तो आजहमारे देश के हालत कुछ और होते... भगत सिंहको कच्ची उम्र में क्रांति का वरण ना करना पड़ता... इस गयासुदीन और गांधी का इतना नामन होता...
पाकिस्तान न होता...
हम आज सुकून से अपने देश में रह रहे होते...🙏सं:क:रामचन्द्र तावणिया
राम चंद्र जी का धन्यवाद।।
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