------ "शिक्षा- एक परिवर्तन" ------
आज की सच्ची कहानी है राजस्थान के एक छोटे से गांव से जिसका नाम है बुधराम जिसने अपने परिवार की जिंदगी कैसे बदली और कैसे एक प्रेरणा बना बताता हु
बुधराम का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहाँ पढ़ना अभिशाप था और खेतीबाड़ी को ही पूजा जाता था तो बुधराम की कोई शुरुआती शिक्षा नही हुई यहा तक की उसने कभी पेन को पकड़ना भी नही सिखा
बुधराम का परिवार मद्यम्वर्गीय परिवार था और बुधराम और उसके 4 भाइयो के बीच 25 बीघे (जमीन का माप) जमीन का बंटवारा होना अगर बंटवारा हो जाता तो कोई भरपेट भोजन भी नही कर पायेगा क्योकि वह जमीन इतनी उपजाऊ नही थी
एक बार जब बुधराम बस में सफ़र कर रहा था तो पास में बेठा 9वी क्लास का लड़का जो की स्कूल से आया था वो अपने दोस्तों को विज्ञान के बारे में बता रहा था की विज्ञान से हम विदेश में बाते कर सकते है बारिश का पता लगा सकते है बुधराम बाते सुनता हुआ उन बातो में खो गया उसकी भी विज्ञान में रूचि जाग्रत हो गयी लेकिन क्या करे उसे तो ये भी नही पता की पेन को पकड़ते कैसे है और विज्ञान को लिखते कैसे है
बुधराम अपने गांव के सरकारी अद्यापक के पास गया और मन की बात बताई अद्यापक ने कहा आप रोज़ शाम को 5 बजे मेरे पास आना तभी से बुधराम ने अद्यापक के पास जाना शुरू कर दिया और दस दिन के भीतर बुधराम भाषा ज्ञान का जानकार हो गया और 6 महीने में उसने सारी उपयोगी शिक्षा प्राप्त कर ली |
उसने 8वीं की शिक्षा उत्तीर्ण की और आगे पढ़ाई जारी रखी उसने दृढ़ इच्छा ने उसे 30 साल की उम्र में 12 वीं पास करवा दिया फिर वह विज्ञान के द्वारा अपनी खेती को सुधरना चाहता था उसने खजूर की खेती के लिए पौधे लाया और उन्हें रोप दिया और क्या उसकी जिंदगी की पटरी ऐसे घुमी के उसे 25 बीघो से 10 लाख की सालाना आय होने लगी
उसकी सभी प्रशंसा कर रहे थे और फिर वह गांव के सरपंची चुनाव में निर्विरोध सरपंच बना और गांव को शोचमुक्त ,पानी निकास और स्वास्थ्य की भौतिक आवश्यकता उसने पेहले साल में ही पूरी कर दी
उसने अपनी सभी हमउम्र को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जिस गांव की 10% लोग ही पढ़े लिखे थे उसके सरपंच रेहते 80% हो गए गांव की काया पलट दी 'बुधराम' ने
तो बुधराम के इस साहसिक और आधुनिक विचारो ने पुरे गांव को बदल दिया
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अपने देश को ऐसे 'बुधराम' हर गांव हर कसबे में चाइए जो देश को बदले
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आज की सच्ची कहानी है राजस्थान के एक छोटे से गांव से जिसका नाम है बुधराम जिसने अपने परिवार की जिंदगी कैसे बदली और कैसे एक प्रेरणा बना बताता हु
बुधराम का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहाँ पढ़ना अभिशाप था और खेतीबाड़ी को ही पूजा जाता था तो बुधराम की कोई शुरुआती शिक्षा नही हुई यहा तक की उसने कभी पेन को पकड़ना भी नही सिखा
बुधराम का परिवार मद्यम्वर्गीय परिवार था और बुधराम और उसके 4 भाइयो के बीच 25 बीघे (जमीन का माप) जमीन का बंटवारा होना अगर बंटवारा हो जाता तो कोई भरपेट भोजन भी नही कर पायेगा क्योकि वह जमीन इतनी उपजाऊ नही थी
एक बार जब बुधराम बस में सफ़र कर रहा था तो पास में बेठा 9वी क्लास का लड़का जो की स्कूल से आया था वो अपने दोस्तों को विज्ञान के बारे में बता रहा था की विज्ञान से हम विदेश में बाते कर सकते है बारिश का पता लगा सकते है बुधराम बाते सुनता हुआ उन बातो में खो गया उसकी भी विज्ञान में रूचि जाग्रत हो गयी लेकिन क्या करे उसे तो ये भी नही पता की पेन को पकड़ते कैसे है और विज्ञान को लिखते कैसे है
बुधराम अपने गांव के सरकारी अद्यापक के पास गया और मन की बात बताई अद्यापक ने कहा आप रोज़ शाम को 5 बजे मेरे पास आना तभी से बुधराम ने अद्यापक के पास जाना शुरू कर दिया और दस दिन के भीतर बुधराम भाषा ज्ञान का जानकार हो गया और 6 महीने में उसने सारी उपयोगी शिक्षा प्राप्त कर ली |
उसने 8वीं की शिक्षा उत्तीर्ण की और आगे पढ़ाई जारी रखी उसने दृढ़ इच्छा ने उसे 30 साल की उम्र में 12 वीं पास करवा दिया फिर वह विज्ञान के द्वारा अपनी खेती को सुधरना चाहता था उसने खजूर की खेती के लिए पौधे लाया और उन्हें रोप दिया और क्या उसकी जिंदगी की पटरी ऐसे घुमी के उसे 25 बीघो से 10 लाख की सालाना आय होने लगी
उसकी सभी प्रशंसा कर रहे थे और फिर वह गांव के सरपंची चुनाव में निर्विरोध सरपंच बना और गांव को शोचमुक्त ,पानी निकास और स्वास्थ्य की भौतिक आवश्यकता उसने पेहले साल में ही पूरी कर दी
उसने अपनी सभी हमउम्र को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जिस गांव की 10% लोग ही पढ़े लिखे थे उसके सरपंच रेहते 80% हो गए गांव की काया पलट दी 'बुधराम' ने
तो बुधराम के इस साहसिक और आधुनिक विचारो ने पुरे गांव को बदल दिया
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अपने देश को ऐसे 'बुधराम' हर गांव हर कसबे में चाइए जो देश को बदले
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