"आना ना इस देश म्हारी लाडो"
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नमस्कार दोस्तों आज एक नयी समाजिक कुरीति के बारे में आपको बताने जा रहा हु ऐसी संकीर्ण सोच के बारे में जो किसी जाति समाज या देश के विनाश का मूल है
हमे पढ़ाया जाता है समजाया जाता है की 'औरत देवी स्वरूप है उसकी इज़्ज़त करनी चाइए'
यहाँ तक की पुराणों में यहाँ तक कहा गया है की
" यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता"
अथार्त् जहाँ जिस स्थान पर नारियों की पूजा होती है वहाँ देवता का निवास होता है
भारत में नवरात्री में दुर्गा पूजा में इसका उदहारण देख्ने को मिलता है पर इसके बाद जो लोगो की जो मानसिकता है वो स्पस्ट हो जाती है नारियों से बदसलूकी और गैंगरेप उत्पीड़न अदि जेसी घटनाये आये दिन देखने को मिलती है
अख़बार का मुख्य पन्ना ऐसी कोई न कोई घटना से भरा मिलता है तो क्या इस देश के लोग अपने पूर्वजो के मूल्यों नैतिक आदर्शो को भूल गए है या त्याग दिया है क्योकि जिस देश ने नारी जाती का सम्मान को एक परिभाषा दी वही देश इस को धित्कार रहा है यह बात समझ नही आती....
अभी कुछ समय पहले की बात एक 3 माह की बच्ची से हुआ बलात्कार जिसमे बच्ची की मौत हो जाती है तो क्या इतना समाज गिर चूका है की अपने दिमाग के हवस के दीमक को समझ नही पा रहा है ये सब बातें सोचने की है और एक परिवर्तन की आवश्यकता है
मेरे दोस्तों आज आपको एक शपथ लेनी होगी बहिन किसी की भी हो इज़्ज़त उसका हक़ है और इसका संरक्षण हम सबको मिलकर करना है
जब समाज बदलेगा तब देश बदलेगा
जय नारी जय भारत
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